नियति में था जिसके उड़ना वो भी बांधी गई कभी अपनों के हाथों कभी गैरों से वो काटी गई। बन्धनमुक्त...
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ख़ामोश सी रहती है जुबां, अक्सर ये गिला करते हैं आप नज़रे जो करना चाहे बयां, समझने की कोशिश कहाँ...
तन्हाई में जब कभी, कुछ याद करता हूँ दिदार हो बस तेरा, मैं ये फ़रियाद करता हूँ । हर चेहरे...
उनके संग देखे थे कुछ सपने होगी ज़िन्दगी हसीन, मिलकर मुस्कुराएँगे । दुश्मनों के हमले ने छलनी किया जब हमको...
है ऐतबार ख़ुद पर उम्मीद दिल में लिए फिरती हूँ सजा के अधूरे सपने इन आँखों में सारी-सारी रात जगा...
पहले सोचा करते थे दुनिया के बारे में अब ख़ुद ही से फुरसत नहीं निकाल पाते हैं लगा लेते थे...
ज़िन्दगी कभी इतनी हसीं नहीं थी मैं खुश थी, मगर इतनी नहीं थी। बेहिसाब थी बारिशें, तन्हाई के आलम में...
ज़िन्दगी की पटरी पर रखकर अपने ये क़दम ज़िन्दादिली से हर इक पल जिए जा रहे हैं हम। है हौंसले...
औरों के मुताबिक़ भी चलकर देखा है हमने ए हुज़ूर एक हम नादां थे जो खुशी अपनी उनकी हँसी में...
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