रुख़सती के वक्त जिनसे, कभी ना मिलने की खाई थी कसमेंहम अभी-अभी उनसे मुलाक़ात करके लौटे हैंथा बहुत कुछ कहने...
Romance
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वो छुप-छुप कर मेरा तुझे देखनाऔर नज़रों का नज़रों से मिलते हीमेरा पलकों को झुका लेनासच बताओ तुम देखते हो...
वो दिन था मेरा और रात भी वोसूने आसमां में जैसे, मेहताब था वो वो मौन मेरा, अल्फाज़ भी वोजज़्बातों...
भूल जाती हूँ अक़्सर, हर बार तुमसे ये कहनामैं रहूँ या ना रहूँ, तुम मेरे क़रीब ही रहनाज़िंदगी क़ायनात से...
ज़रूरी तो नहीं जैसा चाहते हैं हम वो भी वैसा ही चाहें हो नींद इन आँखों में तभी ख़्वाब आएँ।...
करी थी कोशिश हमने भी करें ना ज़िक्र तुमसे कभी बातें जो ज़हन में थी मेरे रख लेते ताउम्र उनको...
ख़ामोश सी रहती है जुबां, अक्सर ये गिला करते हैं आप नज़रे जो करना चाहे बयां, समझने की कोशिश कहाँ...
तन्हाई में जब कभी, कुछ याद करता हूँ दिदार हो बस तेरा, मैं ये फ़रियाद करता हूँ । हर चेहरे...
ज़िन्दगी कभी इतनी हसीं नहीं थी मैं खुश थी, मगर इतनी नहीं थी। बेहिसाब थी बारिशें, तन्हाई के आलम में...
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