तुम ख़्वाहिश मेरी, हसरत मेरी, तमन्ना भी तुम होमेरा गिरना, मेरा उठना, मेरा संभलना भी तुम होतुम्हीं ढलती हुई शाम...
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इस ख़ुदगर्ज़ दुनिया में जहां रिश्तों के मायने नहीं हैंतुझसे बेइंतहा मोहब्बत की उम्मीद लगा बैठी हूंतेरी निगाहों ने ना...
रुख़सती के वक्त जिनसे, कभी ना मिलने की खाई थी कसमेंहम अभी-अभी उनसे मुलाक़ात करके लौटे हैंथा बहुत कुछ कहने...
वो छुप-छुप कर मेरा तुझे देखनाऔर नज़रों का नज़रों से मिलते हीमेरा पलकों को झुका लेनासच बताओ तुम देखते हो...
वो दिन था मेरा और रात भी वोसूने आसमां में जैसे, मेहताब था वो वो मौन मेरा, अल्फाज़ भी वोजज़्बातों...
ख़ामोशियों में सिसकती हुई नज़दीकियाँ देखी हैंकोसों दूर बैठी हुई मजबूरियाँ देखी हैंअपनों के दर्द को हर पल महसूस करने...
मुस्कुराहट अधरों पर जिसकेहै नयनों में सूर्य सा तेजअविरल बहती नदियों साजिसमें प्रतिक्षण रहता है वेग। अंधियारी रात में आशा...
यूँ तो दास्ताँने मुहब्बत हर शख़्स सुना रहा हैख़ूबसूरत अल्फाज़ लबों पर सजाए जा रहा हैदिल से निकलकर सीधा रूह...
ना जाने क्यूँ कई सालों से, मैं वही गलती दोहरा रही हूँयह जानते हुए की टूटेगी, मैं फिर से उम्मीद...
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