औरों के मुताबिक़ भी चलकर
देखा है हमने ए हुज़ूर
एक हम नादां थे जो खुशी अपनी
उनकी हँसी में ही ढूंढा किये
और बेरुखी की उनकी हद तो देखिए
हाल-ए-दिल कभी उन्होनें हमसे
अपना ज़ाहिर ही ना किया।
कदम बढ़ा दिये हमने जब
अपनी चुनी हुई राहों पर
रही ना कोई ख़्वाहिश और ना ही ज़रुरत
कि उनकी ख़ैरियत की ख़बर मिले
तभी हम लबों पर मुस्कुराहट लाएं
हो बेशक़ मुद्दतों के बाद लेकिन हमने
मुहब्बत खुद से करना आखिर सीख लिया।