यूँ तितलियों का फूलों पर बेबाकी से मंडरानाफूलों का ख़ुद ही में सिमटकर धीरे से शरमाना। यूँ पंछियों का उन्मुक्त...
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नीड़ को बनाना है बेहतर बस इसी होड़ मेंदौड़ रहे थे पंछी सारे एक अंधी दौड़ में कल्पना सुनहरे भविष्य...
तन्हाई की चादर में सिमटी हुई थी रातथे बहुत लेकिन कभी ना ज़ाहिर किए जज़्बातसदियों के बाद फ़ुरसत का ये...
लोग क्या कहेंगे सिर्फ इस बात पर हम कुछ यूँ उलझते जा रहे हैं दिल कुछ और करना चाहता हैं...
इतिहास के पन्नों में, ऐसा पहली बार ही शायद हुआ है एक दूसरे के साथ ना हो बेशक़, एक दूसरे...
मज़बूत कंधे जो कभी बोझ उठाते थे सारा खुशी खुशी बनते थे सभी के जीने का सहारा उन्हीं कन्धों को,...
कलम उठी है जो आज मेरी ये कलम नहीं तलवार है स्याही की हर इक बूंद में छुपी दुश्मनों की...
ज़रूरी तो नहीं जैसा चाहते हैं हम वो भी वैसा ही चाहें हो नींद इन आँखों में तभी ख़्वाब आएँ।...
करी थी कोशिश हमने भी करें ना ज़िक्र तुमसे कभी बातें जो ज़हन में थी मेरे रख लेते ताउम्र उनको...
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