तन्हाई की चादर में सिमटी हुई थी रात
थे बहुत लेकिन कभी ना ज़ाहिर किए जज़्बात
सदियों के बाद फ़ुरसत का ये क्षण आया था
चाँद भी जब आसमां से देखकर मुस्कुराया था
और क्यों ना हो…
ऐसा पल ज़िंदगी में उसकी, पहली बार आया था
चाँदनी के साथ जब उसने, ख़ुद को तन्हा पाया था!