खिड़की पर बैठी वो तक रही थी बाहरभारी मन से कुछ सोच रही थी शायदहवा के ठंडे झोंके ने भीतर...
Feelings
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जब भी गिरा मैं, तूने मुझको उठायाउँगली पकड़ के फिर से चलना सिखायासारी सारी रात तूने अखियों में काँटीअपने हिस्से...
ग़लतियाँ! गलती हो कोई तुझसे, तो ख़ुद को सज़ा ना देना दोस्तऐसा करने के लिए खड़े हैं, तेरे आस-पास बहुत...
यूँ तितलियों का फूलों पर बेबाकी से मंडरानाफूलों का ख़ुद ही में सिमटकर धीरे से शरमाना। यूँ पंछियों का उन्मुक्त...
नीड़ को बनाना है बेहतर बस इसी होड़ मेंदौड़ रहे थे पंछी सारे एक अंधी दौड़ में कल्पना सुनहरे भविष्य...
तन्हाई की चादर में सिमटी हुई थी रातथे बहुत लेकिन कभी ना ज़ाहिर किए जज़्बातसदियों के बाद फ़ुरसत का ये...
लोग क्या कहेंगे सिर्फ इस बात पर हम कुछ यूँ उलझते जा रहे हैं दिल कुछ और करना चाहता हैं...
मज़बूत कंधे जो कभी बोझ उठाते थे सारा खुशी खुशी बनते थे सभी के जीने का सहारा उन्हीं कन्धों को,...
नियति में था जिसके उड़ना वो भी बांधी गई कभी अपनों के हाथों कभी गैरों से वो काटी गई। बन्धनमुक्त...
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