वो भी क्या ज़माना था
जब शुरू हुआ ये याराना था
लड़ते थे झगड़ते थे
रूठने और मनाने के
सिलसिले यूँ ही चलते थे।
मिलें हैं इतने बरसों बाद
लेकर ज़हन में वो बचपन की याद
हर कोई हममें से कहता है यही बात
हाज़िर हैं हर पल, चाहे दिन हो या रात।
और इक अनकहे वादे के साथ
करने लगें हैं फिर से मुलाकात
ये साथ हमारा इस बार छूटेगा नहीं
पक्का धागा है ये दोस्ती का टूटेगा नहीं।