बोझ अपने अधूरे ख़्वाबों का
और मुझ पर अब थोपो मत
उड़ना चाहता हूँ उन्मुक्त गगन में
और मुझे अब रोको मत।
छूना है हर एक शिखर की ऊँचाई को
अपनी ही रखी शर्तों पर
रहना चाहता हूँ अपनी ही धुन में
और मुझे अब टोको मत।
By Pooja Sharma
Shayaris are the most effective way to unwrap our sentiments and make the most difficult confessions. Even a two liner Shayari is a potpourri of countless emotions which subtly touches our heart at its deepest.
बोझ अपने अधूरे ख़्वाबों का
और मुझ पर अब थोपो मत
उड़ना चाहता हूँ उन्मुक्त गगन में
और मुझे अब रोको मत।
छूना है हर एक शिखर की ऊँचाई को
अपनी ही रखी शर्तों पर
रहना चाहता हूँ अपनी ही धुन में
और मुझे अब टोको मत।
वो डूबी रही तिल-तिल जली
क्यूँकी उसने था ये ठाना
हर तरफ़ उजियारा लाना है
अंधेरा जग से मिटाना है।
बेखबर उसकी तकलीफ़ों से
जो बैठे थे गुरुर में अपनी
उन्हीं चरागों ने इठलाके कहा
कि रौशन हमसे जमाना है।
सबब पूछते हैं वो
मेरे बदले मिजाज़ का
कोई ये मुझको बतलाए
कि मैं क्या जवाब दूँ
उनके इस सवाल का।
वो खींच तान कर उन्हें
बराबर करने चला था
नादां था बेचारा
उसे इतना भी नहीं पता था
कि उनकी क़िस्मत में तो
छोटा बड़ा होना ही लिखा था।
आज ना जाने क्यूँ ये ख़याल है
मन में आया
चलो कुछ हिसाब ही लगा लें
कि हमने क्या खोया और क्या पाया।
ज़माने की तेज़ी से बदलती हुई
रफ़्तार देखिए
खुले आम घूम रहे हैं कातिल
यूँ ही सड़कों पर
और आशिक़ों को सलाखों के पीछे
गिरफ़्तार देखिए।
आहिस्ता आहिस्ता मुझे
ये यकीं हो चला था
कोई और हो ना हो
वो हर हाल में मेरे साथ खड़ा था।
मेरे सही गलत होने का
न उसने कभी फ़ैसला किया
जब भी हारी थी मैं मैन से
उसी ने मुझे हौंसला दिया।
रिश्तों के भँवर में हम कुछ ऐसे फँस रहे हैं
एक को सुलझाओ तो दूसरे उलझ रहे हैं
उनके ना होने की कमी बेशक़ हर पल खलती रही
पर ज़िंदगी बड़ी ख़ुदगर्ज़ है बदस्तूर चलती रही।
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