तुम ख़्वाहिश मेरी, हसरत मेरी, तमन्ना भी तुम हो
मेरा गिरना, मेरा उठना, मेरा संभलना भी तुम हो
तुम्हीं ढलती हुई शाम हो, उजला सवेरा भी तुम हो
नूर-ए-आफ़ताब हो तुम और अंधेरा भी तुम हो।
मेरी धड़कनों का रक्स हो, रूह का रूबाब भी तुम हो
तलाश थी जिसकी मुझे, उस सवाल का जवाब भी तुम हो
तुम्हीं मेरी हक़ीक़त हो, मेरा ख़्वाब भी तुम हो
आसमां में फैली रात हो तुम और महताब भी तुम हो।
तुम्हीं मेरी आख़िरी मंज़िल, आगाज़ भी तुम हो
तुम एहसास जुदाई का, मुलाक़ात भी तुम हो
मेरे लफ्ज़ों की ख़ामोशी हो, ज़ाहिर जज़्बात भी तुम हो
मुक़म्मल जहां हो तुम मेरे और फ़रियाद भी तुम हो।