आहिस्ता आहिस्ता मुझे
ये यकीं हो चला था
कोई और हो ना हो
वो हर हाल में मेरे साथ खड़ा था।
मेरे सही गलत होने का
न उसने कभी फ़ैसला किया
जब भी हारी थी मैं मैन से
उसी ने मुझे हौंसला दिया।
By Pooja Sharma
आहिस्ता आहिस्ता मुझे
ये यकीं हो चला था
कोई और हो ना हो
वो हर हाल में मेरे साथ खड़ा था।
मेरे सही गलत होने का
न उसने कभी फ़ैसला किया
जब भी हारी थी मैं मैन से
उसी ने मुझे हौंसला दिया।
बेहद ख़ूबसूरत ये जज़्बात लगते हैं
बेकाबू से क्यूं ये हालात लगते हैं
नज़दीकियां कुछ इस क़दर बढ़ने लगी हैं
कि दूर होकर भी आप आस-पास लगते हैं।
मोहब्बत का तेरी कुछ यूं असर होने लगा है
तेरे हर यकीं पर यकीं हमें होने लगा है
इख़्तियार रहा नहीं ज़रा भी ख़ुद पर
हर फैसले में दख़ल तेरा होने लगा है।
प्यार तुझसे इस क़दर हमें होने लगा है
तेरे हर दर्द पे दिल मेरा रोने लगा है
करते ना थे तेरे लफ्ज़ों पर एतबार हम कभी
अब तेरी ख़ामोशियों पर यकीं हमें होने लगा है।
महज़ तेरे होने से ही ये सफ़र बेहद हसीं है
बस इसीलिए तेरा होना इतना लाज़मी है।
रोशन हुई है जो ज़िंदगी मेरी
ये तेरी ही इनायत है
वो कहते होंगे इश्क़ इसे
पर ये मेरे लिए इबादत है।
सवालों की इस भीड़ में बस एक ही सवाल है
हम क्यूं ना मिले पहले बस इसी का मलाल है।