शिकायतें हमको भी थी उनसे मगर फिर भी
दुआओं की फेहरिस्त में सबसे ऊपर उन्हीं का नाम था!
एक दूसरे के लिए जान देते देखा है बहुतों को हमनें
क्यूँ ना हम एक-दूसरे के ज़िंदा रहने की वज़ह बन जाएँ।
– Pooja Sharma (Unboxthelife)
By Pooja Sharma
शिकायतें हमको भी थी उनसे मगर फिर भी
दुआओं की फेहरिस्त में सबसे ऊपर उन्हीं का नाम था!
एक दूसरे के लिए जान देते देखा है बहुतों को हमनें
क्यूँ ना हम एक-दूसरे के ज़िंदा रहने की वज़ह बन जाएँ।
बहुत होशियार नहीं हूँ मैं हिसाब किताब रखने में
बस इतना जानती हूँ जितना खोया है मैंने उससे कही ज़्यादा पाया है।
ढूँढ रही हूँ एक ऐसा शक्स जिसके साथ मैं मैं हो जाऊँ
पढ़ ले वो नज़रों को मेरी, ख़ामोशियाँ उसकी मैं सुन पाऊँ।
खामखां मैंनें उन्हें अपने घर में जगह दे रखी थी
ना वो मेरे ख़ास थे, ना ही मैं उनकी अपनी थी।
उड़ने को पंख थे पास मेरे
और चाहा मैंने मछली की तरह तैरना
नाकामियों को अपनी पहनाकर ताज क़िस्मत का
गुज़ार दी ज़िन्दगी यूँ ही ख़ुद को पहचाने बग़ैर।
आसान नहीं था पुराने रिश्ते छोड़ यूँ नए रिश्ते बनाना
यादों के सन्दूक को ताले में बंद कर तहखाने में रख आना
पर शायद ज़िन्दगी का यही दस्तूर है
जो दिल के है क़रीब वो हक़ीक़त में दूर है।
2 thoughts on “Shayari”
Wow 🥰🥰🥰
Thank you so much 😍