तुम जो मिले तो सहारा मिल गया,
डूबती हुई कश्ती को, किनारा मिल गया।
सूनी सी थी राहें, इस जीवन की,
आँखों को मेरी, दिलकश नज़ारा मिल गया।
अजनबी शहर में, महफ़िल थी बेग़ानों की,
कहीं उसमें अपना एक, प्यारा मिल गया।
सफ़र न था आसां, मंज़िलें भी दूर थी,
अच्छा हुआ जो साथ हमको, तुम्हारा मिल गया।