रुसवाईयों की भी तब इन्तहा हो गई
उसके साथ रहते हुए भी, जब वो तन्हा हो गई।
नज़र अंदाज़ कर ख़ुद की ख़ुशी
वो औरों की हँसी को ही अपना मानती रही
जो अपने आप में ही हर तरह से पूरी थी
वो उसकी कमी से, ख़ुद को अधूरा जानती रही।
– Pooja Sharma (Unboxthelife)
By Pooja Sharma
रुसवाईयों की भी तब इन्तहा हो गई
उसके साथ रहते हुए भी, जब वो तन्हा हो गई।
नज़र अंदाज़ कर ख़ुद की ख़ुशी
वो औरों की हँसी को ही अपना मानती रही
जो अपने आप में ही हर तरह से पूरी थी
वो उसकी कमी से, ख़ुद को अधूरा जानती रही।
आज फिर मेरा उन गलियों में जाना हुआ
यूँ लगा उन पलों को गुज़रे ज़माना हुआ
वो शहर जिसे हम समझते थे अपना
चंद ही सालों में वो बेगाना हुआ।
यकीं मानिये ज़िन्दगी में कोई ग़म नहीं है
बस आपकी गैरहाज़िरी में हम हम नहीं है!
ज़िन्दगी में मैंने बस यही बात सीखी है
जो हर हाल में चलता रहे जीत उसी की है।
है कुछ रिश्ते जिनकी ख़ूबसूरती हम औरों को दिखाते हैं
पर हक़ीक़त में सिर्फ़ फर्ज़ समझ कर उन्हें निभाते हैं।
बेहद ख़ूबसूरती से उन्होंने
अपने ख़्यालों को ज़ाहिर किया
हम सोचते ही रह गए
और उन्होंने सब कह दिया।