मुस्कुराहट अधरों पर जिसके
है नयनों में सूर्य सा तेज
अविरल बहती नदियों सा
जिसमें प्रतिक्षण रहता है वेग।
अंधियारी रात में आशा की किरण सी
कभी तपती धूप में बने वृक्ष की शीतल छाया
ममता के आँचल में जिसके मानो
सम्पूर्ण संसार सिमट है आया।
वो मीरा, वो राधा, वो ही जानकी
मन का विश्वास, है वो सबकी आस्था
सहज, सरल, निर्मल, पावन
है वो प्रेम की पराकाष्ठा।
3 thoughts on “नारी”
Excellent!
Thank you!!
So apt for the day and very well written 👍