यूँ तो दास्ताँने मुहब्बत हर शख़्स सुना रहा है
ख़ूबसूरत अल्फाज़ लबों पर सजाए जा रहा है
दिल से निकलकर सीधा रूह को जो छू जाए
ऐसे सुकून से भरे अफ़साने कुछ और हैं।
महफ़िलों में शरीक़ होना फ़ितरत है उनकी
बेशक़ीमती तोहफ़े देना आदत है उनकी
शामिल हम भी उन जश्नों में हर रोज़ होते हैं
पर जो कुबूल है हमें वो नज़राने कुछ और हैं।
मैं अविरल धार नदी की वो विशाल समंदर
मेरी हर साँस बसी है उसकी साँसों के अंदर
यक़ीं मानिये खुश वो भी हैं खुश मैं भी हूँ
बस मेरी ख़ुशियों के पैमाने कुछ और हैं।
2 thoughts on “ख़ुशियों के पैमाने!”
Sooo beautiful & heart touching poetry
Thank you so much!