मुरलीमनोहर, माखनचोर, मेरे कृष्णा, घनश्याम रे
सुन ले अरज तू मेरी, पूरी कर मेरी आस रे
डोर ये नाज़ुक जीवन की, तू थाम ले अपने हाथ में
हर क्षण रहूँ मैं साथ तेरे, बस जा तू मेरी हर साँस में!
नज़र अंदाज़ कर ख़ुद की ख़ुशी
वो औरों की हँसी को ही अपना मानती रही
जो अपने आप में ही हर तरह से पूरी थी
वो उसकी कमी से, ख़ुद को अधूरा जानती रही।
– Pooja Sharma (Unboxthelife)