हर शख़्स यहाँ ऐब अपने, अपनों से छुपा रहा है
इसी जद्दो-जहद में ग़ैरों को अपना बना रहा है
जो अपनाया होता अपनों ने ख़ामियों के साथ
तो एक मज़बूत मुट्ठी बन गए होते, ये ख़ाली बेजान हाथ।
उन जैसा बनने की चाह में
मैं उम्र भर कोशिशें करती रही
ना उन जैसी कभी बन पाई
और ना ही ख़ुद सी रही।
– Pooja Sharma (Unboxthelife)