ख़ामोशियों में सिसकती हुई नज़दीकियाँ देखी हैं
कोसों दूर बैठी हुई मजबूरियाँ देखी हैं
अपनों के दर्द को हर पल महसूस करने के बावजूद
ना कुछ कर पाने की बेबसियाँ देखी हैं।
अपने हर ज़ख्म को अपने ही हाथों से सिया है
इन दिनों ज़िंदगी को हमनें बड़े क़रीब से जिया है
कई बार जब ख़ुद भीतर से बिखरे हुए थे
तब भी अपनों को उम्मीद का हौंसला दिया है।
सिर्फ़ ज़िंदा थे, हमें जीने का सलीका समझाया
इस मुश्किल दौर ने अपनों को अपनाना सिखाया
उनके सही या गलत होने से, उनका होना है ज़रूरी
ज़िन्दगी का यह सबसे अनमोल पाठ हमें पढ़ाया।