हुई मुद्दत अकेले जीते-जीते
चलो कोई दोस्त बनाएँ
कोई तो हो जो मुझे
मेरी ही तरह समझ पाए!
नज़र अंदाज़ कर ख़ुद की ख़ुशी
वो औरों की हँसी को ही अपना मानती रही
जो अपने आप में ही हर तरह से पूरी थी
वो उसकी कमी से, ख़ुद को अधूरा जानती रही।
– Pooja Sharma (Unboxthelife)