गुज़र रही है उम्र ख़ुशी की तलाश में
ज़िंदा है पर जीने की वज़ह ढूँढ़ता है
ख़ुद बेशक़ डूबा हुआ है गहरे समंदर में
मन उसका अक़्सर सतह ढूँढ़ता है।
उन जैसा बनने की चाह में
मैं उम्र भर कोशिशें करती रही
ना उन जैसी कभी बन पाई
और ना ही ख़ुद सी रही।
– Pooja Sharma (Unboxthelife)