उनके संग देखे थे कुछ सपने
होगी ज़िन्दगी हसीन, मिलकर मुस्कुराएँगे ।
दुश्मनों के हमले ने छलनी किया जब हमको
निकल पड़े वो वादा करके, जल्दी लौट आएँगे ।
फिर लौटें चाहे वर्दी में या आएँ तिरंगे में लिपटे
उत्सव जीत का हमारी, सब जरुर मनाएँगे।
देश की रक्षा के लिए चल पड़े जो अग्निपथ पर
है गर्व कि सब मुझे, उसकी अर्धांगिनी बुलाएँगे।
उसके शौर्य के किस्से हम हर रोज़ सुनाएँगे
बुनियाद जो डाली है उसने, उसे मज़बूत बनाएँगे।
देखकर हिम्मत जिसकी बढ़ता है हौसला मेरा
भारत माँ के उन वीर सपूतों की, वीरांगना कहलाएँगे।