क्या तेरा क्या मेरा क्या अपना क्या पराया
हैं वो बड़े ख़ुशनसीब जिन्हें राज़ ये समझ में आया
भूलकर ख़ुद को बंधे रहे जिस डोर से ताउम्र
ना वो प्यार है ना अपनापन वो तो सिर्फ़ है मोह-माया।
ख़ामोशियों की सतह तक अगर तुम जाओगे
तो ख़ुद ही को बैठा हुआ पाओगे।
– Pooja Sharma (Unboxthelife)