सबब पूछते हैं वो
मेरे बदले मिजाज़ का
कोई ये मुझको बतलाए
कि मैं क्या जवाब दूँ
उनके इस सवाल का।
उन जैसा बनने की चाह में
मैं उम्र भर कोशिशें करती रही
ना उन जैसी कभी बन पाई
और ना ही ख़ुद सी रही।
– Pooja Sharma (Unboxthelife)
By Pooja Sharma
सबब पूछते हैं वो
मेरे बदले मिजाज़ का
कोई ये मुझको बतलाए
कि मैं क्या जवाब दूँ
उनके इस सवाल का।
उन जैसा बनने की चाह में
मैं उम्र भर कोशिशें करती रही
ना उन जैसी कभी बन पाई
और ना ही ख़ुद सी रही।
ख़ामोशियों की सतह तक अगर तुम जाओगे
तो ख़ुद ही को बैठा हुआ पाओगे।
इन खमोशियों में ख़ुद को ढूँढना अच्छा लगता है
ना कुछ कह कर भी, सब कुछ बोलना अच्छा लगता है।
नज़र अंदाज़ कर ख़ुद की ख़ुशी
वो औरों की हँसी को ही अपना मानती रही
जो अपने आप में ही हर तरह से पूरी थी
वो उसकी कमी से, ख़ुद को अधूरा जानती रही।
आज फिर मेरा उन गलियों में जाना हुआ
यूँ लगा उन पलों को गुज़रे ज़माना हुआ
वो शहर जिसे हम समझते थे अपना
चंद ही सालों में वो बेगाना हुआ।
यकीं मानिये ज़िन्दगी में कोई ग़म नहीं है
बस आपकी गैरहाज़िरी में हम हम नहीं है!