रिश्ता नहीं है मेरा कोई उससे
ना ही कोई जान पहचान है
फिर भी ना जाने क्यूँ उसके जाने से
मन थोड़ा परेशान है
ऐसा नहीं कि उसके जाने से
जिंदगी में मेरी कोई फ़र्क पड़ा है
फिर भी ना जाने क्यूँ लगता है
हर वक़्त वो मेरे सामने ही खड़ा है।
बहुत से लोग बहुत सी बातें कर रहे हैं
उसके अलविदा कहने के अन्दाज़ को भी
सही ग़लत के तराज़ू में तोल रहे हैं
कोई कहता है अपनों का तो सोचा होता
तो कोई उसे कायर और कमज़ोर बता रहे हैं
कितना आसान होता है ना
घर बैठे-बैठे किसी के बारे में कुछ भी कहना
पर होता है बड़ा मुश्किल
विपरीत परिस्थितियों में भी अड़िग हो डटे रहना।
उससे भी बस यही ग़लती हो गई
कि लड़खड़ा गया वो
ख़ुद की क़ाबिलियत को नज़रअंदाज़ कर
लोगों की बातों में आ गया वो
ऐसा नहीं कि वो ही अकेला था
बहुत से लोग ऐसे ही दोराहे पर खड़े हैं
एक तरफ़ ख़्वाबों को मुकम्मल करने की कोशिश
दूसरी ओर तन्हाइयों की चादर में लिपटे पड़े हैं।
अजीब सी कशमकश में हर वक़्त रहते हैं
सोचते तो बहुत कुछ हैं
पर कम ही किसी से कुछ कहते हैं
बहुत हिम्मत दिखाकर उन्होंनें
कुछ अलग क़दम उठाए
अपनों की उम्मीदों को रखकर परे
अपनी ही ज़िद से कुछ नए ख़्वाब बनाए
फिर उन्हीं ख़्वाबों को हक़ीक़त में बदलने के लिए
घर से कोसों दूर चले आए।
डरते हैं कि कोशिश में कोई कमी ना रह जाए
उम्मीदों पर तो खरे उतरे नहीं
कहीं महल ख़्वाबों के भी ना ढ़ह जाए
लोग क्या कहेंगे के जाल में कुछ ऐसे फँस गए हैं
अपनों की थोड़ी सी डाँट के डर से ही सहम गए हैं
उन्हें लगता है उनको सहारा देने
कोई नहीं आएगा
और वो भी किस मुँह से लौटकर
अब वापस घर को जाएगा।
काश उन्हें इतनी सी बात समझ में आ जाए
चाहे पंछी उन्मुक्त गगन में
अपने रंगीन पर फैलाए
या फिर कटे पंखों से वो चल भी ना पाए
हर सूरत में परिवार उसके साथ रहता है
सिर्फ़ उसकी मौजूदगी से ही
घरौंदा आबाद रहता है।
एक-एक बूंद के मिलने से ही तो
सागर का निर्माण होता है
उसके विशाल अस्तित्व को बनाने में
हर इक बूँद का किरदार होता है
नदियाँ कितना भी ग़ुरूर कर लें
अपने स्वछंद बहने पर
अन्तिम उद्देश्य उनके जीवन का
समंदर में समाहित होना ही तो होता है।