वो खींच तान कर उन्हें
बराबर करने चला था
नादां था बेचारा
उसे इतना भी नहीं पता था
कि उनकी क़िस्मत में तो
छोटा बड़ा होना ही लिखा था।
नज़र अंदाज़ कर ख़ुद की ख़ुशी
वो औरों की हँसी को ही अपना मानती रही
जो अपने आप में ही हर तरह से पूरी थी
वो उसकी कमी से, ख़ुद को अधूरा जानती रही।
– Pooja Sharma (Unboxthelife)