वो ज़िक्र हमेशा करते रहे
अपनी ही चाहतों का…
काश कभी तो पूछा होता
कि हमें क्या पसंद है।
नज़र अंदाज़ कर ख़ुद की ख़ुशी
वो औरों की हँसी को ही अपना मानती रही
जो अपने आप में ही हर तरह से पूरी थी
वो उसकी कमी से, ख़ुद को अधूरा जानती रही।
– Pooja Sharma (Unboxthelife)