हो आम सा कोई दिन
या पल हो कोई खास
गुफ्त्गू का हो आलम
या ज़ाहिर करने हो जज़्बात
सोचना क्या मिल बैठिए एक साथ
लेकर चाय की प्याली की मिठास।
एक दूसरे के लिए जान देते देखा है बहुतों को हमनें
क्यूँ ना हम एक-दूसरे के ज़िंदा रहने की वज़ह बन जाएँ।
– Pooja Sharma (Unboxthelife)