कलम उठी है जो आज मेरी
ये कलम नहीं तलवार है
स्याही की हर इक बूंद में छुपी
दुश्मनों की हार है।
वो छुपे रहे बिलों में अपने
हम सीना ताने बाहर हैं
भारत के इन वीर सपूतों को
हम नतमस्तक बारम्बार हैं।
सर ना झुकेगा ये किसी के भी आगे
चाहे कटने को तैयार है
होली और दिवाली से भी बढ़कर
माँ भारती का त्यौहार है।