बोझ अपने अधूरे ख़्वाबों का
और मुझ पर अब थोपो मत
उड़ना चाहता हूँ उन्मुक्त गगन में
और मुझे अब रोको मत।
छूना है हर एक शिखर की ऊँचाई को
अपनी ही रखी शर्तों पर
रहना चाहता हूँ अपनी ही धुन में
और मुझे अब टोको मत।
By Pooja Sharma
बोझ अपने अधूरे ख़्वाबों का
और मुझ पर अब थोपो मत
उड़ना चाहता हूँ उन्मुक्त गगन में
और मुझे अब रोको मत।
छूना है हर एक शिखर की ऊँचाई को
अपनी ही रखी शर्तों पर
रहना चाहता हूँ अपनी ही धुन में
और मुझे अब टोको मत।
आरज़ू थी बहुत साथ जीने की तेरे
कोशिशें भी की हमनें कई दफ़ा है
नाउम्मीद हो छोड़ दिया जब तेरे पीछे आना
तुम समझ बैठे कि हम तुमसे खफ़ा हैं।
नज़र भर देख लें उनको तो सुकून मिलता है
और लोग कहते हैं कि हमें मुहब्बत हुई है।
ना तुझे पाने की ज़िद रही
ना ही खोने का डर रहा बाक़ी
ज़िंदगी सुकून से बसर करने के लिए
इक तेरा ख़्याल ही है काफ़ी।
रिश्ता होता है जिनसे रूहानी
उनसे ताल्लुकात नहीं बिगड़ते
चाहे ज़माने बीत जाए रूबरू हुए
वो कभी दिल से नहीं निकलते।
पलट कर उन्होंने देखा हमें
ये महज़ एक इत्तेफ़ाक़ था
और हमने उसे मुहब्बत समझ कर
पूरी ज़िंदगी गुज़ार दी।
हैं बहुत सी बातें ज़ेहन में जो हम कभी कह नहीं पाएंगे
सिमट कर मगर इन ख़ामोशियों में, यूं रह भी नहीं पाएंगे
मेरे जज़्बातों का इल्म हो तुम्हें दिल की यही आरज़ू है
क्यूं लगता है कि गुम हो रही हूं मैं, हर तरफ़ अब तू ही तू है।