घटाएँ जो छाई तो बरस हो जाती है
बारिशें कब बादलों के लिए आँसू बहाती हैं
मोहब्बत चाहे कितनी भी रही हो उनसे
उनके जाने से ज़िंदगी तो नहीं रुक जाती है।
एक दूसरे के लिए जान देते देखा है बहुतों को हमनें
क्यूँ ना हम एक-दूसरे के ज़िंदा रहने की वज़ह बन जाएँ।
– Pooja Sharma (Unboxthelife)