वो डूबी रही तिल-तिल जली
क्यूँकी उसने था ये ठाना
हर तरफ़ उजियारा लाना है
अंधेरा जग से मिटाना है।
बेखबर उसकी तकलीफ़ों से
जो बैठे थे गुरुर में अपनी
उन्हीं चरागों ने इठलाके कहा
कि रौशन हमसे जमाना है।
By Pooja Sharma
वो डूबी रही तिल-तिल जली
क्यूँकी उसने था ये ठाना
हर तरफ़ उजियारा लाना है
अंधेरा जग से मिटाना है।
बेखबर उसकी तकलीफ़ों से
जो बैठे थे गुरुर में अपनी
उन्हीं चरागों ने इठलाके कहा
कि रौशन हमसे जमाना है।
बेहद ख़ूबसूरत ये जज़्बात लगते हैं
बेकाबू से क्यूं ये हालात लगते हैं
नज़दीकियां कुछ इस क़दर बढ़ने लगी हैं
कि दूर होकर भी आप आस-पास लगते हैं।
मोहब्बत का तेरी कुछ यूं असर होने लगा है
तेरे हर यकीं पर यकीं हमें होने लगा है
इख़्तियार रहा नहीं ज़रा भी ख़ुद पर
हर फैसले में दख़ल तेरा होने लगा है।
प्यार तुझसे इस क़दर हमें होने लगा है
तेरे हर दर्द पे दिल मेरा रोने लगा है
करते ना थे तेरे लफ्ज़ों पर एतबार हम कभी
अब तेरी ख़ामोशियों पर यकीं हमें होने लगा है।
महज़ तेरे होने से ही ये सफ़र बेहद हसीं है
बस इसीलिए तेरा होना इतना लाज़मी है।
रोशन हुई है जो ज़िंदगी मेरी
ये तेरी ही इनायत है
वो कहते होंगे इश्क़ इसे
पर ये मेरे लिए इबादत है।
सवालों की इस भीड़ में बस एक ही सवाल है
हम क्यूं ना मिले पहले बस इसी का मलाल है।