इन गुज़रते लम्हों के साथ
हमें इस क़दर तेरी आदत सी हो गई
तेरे साथ एक पल भी बिताना
अब तो ख़ुदा की इबादत सी हो गई।
ख़ामोशियों की सतह तक अगर तुम जाओगे
तो ख़ुद ही को बैठा हुआ पाओगे।
– Pooja Sharma (Unboxthelife)
By Pooja Sharma
इन गुज़रते लम्हों के साथ
हमें इस क़दर तेरी आदत सी हो गई
तेरे साथ एक पल भी बिताना
अब तो ख़ुदा की इबादत सी हो गई।
ख़ामोशियों की सतह तक अगर तुम जाओगे
तो ख़ुद ही को बैठा हुआ पाओगे।
इन खमोशियों में ख़ुद को ढूँढना अच्छा लगता है
ना कुछ कह कर भी, सब कुछ बोलना अच्छा लगता है।
नज़र अंदाज़ कर ख़ुद की ख़ुशी
वो औरों की हँसी को ही अपना मानती रही
जो अपने आप में ही हर तरह से पूरी थी
वो उसकी कमी से, ख़ुद को अधूरा जानती रही।
आज फिर मेरा उन गलियों में जाना हुआ
यूँ लगा उन पलों को गुज़रे ज़माना हुआ
वो शहर जिसे हम समझते थे अपना
चंद ही सालों में वो बेगाना हुआ।
यकीं मानिये ज़िन्दगी में कोई ग़म नहीं है
बस आपकी गैरहाज़िरी में हम हम नहीं है!
ज़िन्दगी में मैंने बस यही बात सीखी है
जो हर हाल में चलता रहे जीत उसी की है।